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अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=भारत भूषण }}{{KKCatGeet}}<poem>अब खोजनी है आमरण
कोई शरण कोई शरण
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण </poem>
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