भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब मैं तुम्हें / रघुवीर सहाय

2 bytes added, 19:05, 18 दिसम्बर 2011
निश्चय ही तुम में लीन हो जाती होगी ।
तुम उस का क्या करती हो मेरी लाडली--लाडली—--अ‍पनी —अ‍पनी व्यथा के संकोच से मुक्त होकर
जब मैं तुम्हे प्यार करता हूँ ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits