भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही,<br>
अम्बर पर घन बन छाएगा ही उच्छ्वास तुम्हारा।<br>
और अधिक ले जाँच, देवता इतन इतना क्रूर नहीं है।<br>
थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है।<br><br>
3
edits