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चमकत है बिजरी गरजत घन श्याम श्याम / शिवदीन राम जोशी
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17:05, 20 जनवरी 2012
कारे मतवारे बादर भी सुहावना।
बरसत ज्यूं फुवांरे पल पल मेघमाली के,
दादुर गीत गावें जैसे आये
हांे
हो
पावना।
मोरन की शोर मची पीहूं-पीहूं बोलि रहे,
कोयल के मधुर शब्द बारिश बरसावना।
Kailash Pareek
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