भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वार्ता:चौपाल

16 bytes added, 21:33, 21 जनवरी 2012
<poem>
भाई महावीर जी,
यह रचना पंडित विनोद शर्मा की है, जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया है। पूरी कविता इस प्रकार है।
 
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
सादर
अनिल जनविजय
</poem>
pria mitron,
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits