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Kavita Kosh से
शिवदीन गमों से, ना आंसू बहायें।।
भोर भये, गम खा के रहे,
शिवदीन गमों को, भला करी पायें।।
गम गामता है, यह बडा गम है,
फिर क्यो न रहे, गम में होशियरी।।
गम ताजा है राजा न बासी बुरा,