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13:03, 28 सितम्बर 2007
तौ तुमहीं देखौ आपुन तजि निद्रा नैन बिसाल ॥<br><br>
सूरदासजी सूरदास जी कहते हैंकि हैं कि (मैया मोहनको मोहन को जगा रही हैं-)`जागो ! जागो गोपाललाल ! प्यारेपुत्र ! सुनो, सबेरेका सबेरे का समय बड़ा पवित्र होता है, इतने समय तक सोया नहीं जाता । क्षण-क्षणमें क्षण में (बार-बार) तुम्हारे मुखको मुख को देखकर सभी ग्वाल-बाल लौट-लौट जाते हैं (तुम्हारे सब सखा जाग गये हैं )। ऐसा लगता है जैसे बिना खिले सुन्दर कमल-कोष से भौंरों की पंक्ति लौट लौट जाती हो । तमालके तमाल के समान श्याम वर्णवाले मेरे सुन्दर लाल! यदि तुम मेरा विश्वास न करते हो तो नींद छोड़कर अपने बड़े-बड़े नेत्रौंसे स्वयं तुम्हीं (इस अद्भुत बातकोबात को) देख लो ।'