गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
भूख की चौखट पे आकर कुछ निवाले रह गए/राणा प्रताप सिंह
1 byte added
,
05:22, 10 फ़रवरी 2012
<poem>भूख की चौखट पे आकर कुछ निवाले रह गए
फिर से अंधियारे की ज़द में कुछ उजाले रह गए
आपकी ताक़त का अंदाजा इसी से लग गया
इस दफे भी आप ही कुर्सी संभाले रह गए
राणा प्रताप सिंह
57
edits