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|रचनाकार= राणा प्रताप सिंह
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<poem>तारों के अम्बर में चाँद के समान
कमल भी कुमुदिनी को बाँट रहा ज्ञान

कमल पुष्प कर में ले
मुख में हरि जाप किये
मंदिर की सीढ़ी पर
मद्धिम पद चाप लिए
नन्हे डग भरती है तोतली जबान
हाँथ से फिसल जाता सारा सामान
जीवन दर्शन से जो बिल्कुल अज्ञान
कमल पुष्प देता कोमलता का ज्ञान

झींगुर की एक सभा
पावस की रुन झुन झुन
उस पर मादक मयूर
पेयों पेयों की धुन
वर्षा के मौसम का मधुर मधुर गान
झाँक रहा खिड़की से खुला आसमान
दुनिया के नियमों का जिन्हें नहीं ध्यान
कमल पुष्प देता सुंदरता वरदान
</poem>