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मेरे दामन में काँटे हैं, मेरी आँखों में पानी है
मोहब्बत नाम है जिसका, उसी की मगर कैसे बताऊँ मैं ये निशानी किसकी मेहरबानी है
क़ज़ा ही लगती है आसां, ये जीना अपने आइने की हमने क्या जुदाई मेंहालत बना डाली मिटाना है मुझे खुद कोकई चेहरे हटाने हैं, कईं यादें मिटानी हैहैं
वफ़ा के वादे हैं टूटे, ज़रा सी बात पर रूठे तुम्हें हम फासलों से देखते थे औ'र मचलते थे
सज़ा बन जाती है कुरबत, अजब दिल की कहानी है
मिटा कर नक्श कदमों के, बने अंजान हम फिर से चलो अनजान बन जाएँ
मिलें शायद कभी हम-तुम, कि लंबी ज़िंदगानी है
वफ़ा के नाम पे पर 'श्रद्धा' न हो कुर्बान अब कोई
कहानी हीर-रांझा की पुरानी थी, पुरानी है
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