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कर्म / शिवदीन राम जोशी

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को किसको दुःख देत है, कर्म देत झकझौर,
उरझत सुरझत आप ही, ध्वजा पवन के लौर |
ध्वजा पवन के लौर, समज समझ थोरी में सारी,
कर्म गति बलवान, गति है न्यारी-न्यारी |
संत समागम सुख है, सत संगत शुभ रंग,
राम गुण गायारे ||
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कर्म ही से सुख भोग मिले, सब कर्म ही से दुःख पावत नाना,
कर्म ही स्वर्ग विमान चढ़ावत, कर्म ही डारत नरक निशाना |
कर्म ही से जग में यश किरती, निंदित कर्म ही है अपमाना,
शिवदीन कहे नहीं आन को दोष, जो कर्म करे नर वह फल पाना |
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कर्मन के आधीन सकल संसार देख रे,
विधिना लिखे विचार बांचले सत्य लेख रे |
ज्ञानी ध्यानी और नृपति बनि रहे करम से,
चातुर मूरख लोग दुखी है और भरम से |
सन्यासी साधू लखे भजन करें धरि मौन,
शिवदीन करम के बस सभी बचा हुआ यहाँ कौन |
राम गुण गायारे ||
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