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दिन भर फ़ोन धरे कानों परये जाने चिड़ियाँ बैठीं क्या-क्या बतियाएऐसी चहकी चिड़िया घर कीगूँजें दूर देश तक जाएँबतियाएँ
बात-बात पर प्यार जताएमें खुश हो जाना जरा देर में ख़ुद चिढ़ जाएजाना
अपनी-उनकी, उनकी-अपनी
जाने कितनी कथा सुनाएसुनाना
बातें करती घर आँगन की
ढीली-अण्टी कभी न करती
‘मिस कॉलों’ से काम चलाएचलाना ‘कॉल’ उधर से आ जाने परकठिन समय है, सस्ते में ही तरह-तरह की बात बनाएउँगली के बल उसे नचाना
‘टाइम पास’ किया करने कोकरती हैं नई कथा के बिम्ब रचाएरच कर कल्पित गूढ़ कथाएँ
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