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जेठ-दुपहरी चिड़िया रानी
सुना रही है फाग
कैटवाक करती सड़कों पर
पढ़ी-पढ़ाई चिड़िया रानी
उघरी हुई देह से के जादूपल-छिन करती से इतराई चिड़िया रानी
पॉप धुनों पर गाती रहतीहरदम थिरके तन-मन गाये दीपक राग
जब चाहे तब सींचा करतीअपने उनके मन का बाग़
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