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Kavita Kosh से
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फटे बांस में
पैर अड़ा कर
चलता था उसका खाता
इसे डराए
उसे सताए
किससे कितना
बाहुबली था
राजनीति में-
पाँव जमाकर छोडी छोड़ी छाप
बना सरगना
अपने दल का
राम नाम सत
आया जल्दी
माटी उसका था खाता
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