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हम बंजारे
मारे-मारे
फिरते-रहते
जलती भट्ठी
मोड़ें वैसा
धरे निहाई
नए-नए-
अपनी फूटी
खा भी लेते
राहगीर मिल
हम हैं फिर भी
रहते हंसते
अभी तुम्हारा आपका
समय सहारा
जो सुन लेते
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