भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
दिन जिन्दगी के गिनते नही माहो-साल में।
</poem>
1.महवीयत - तल्लीनता, किसी के ख्याल में खो जाना
2.बेतहाशा - बहुत अधिक 3.साबिका - सम्बन्ध, लगाव 4. हमनशीं - साथ बैठने वाला, मित्र सभासद, मुहासिब।5. ताइरे-असीर - (पिंजड़े में) कैद पंछी 6.मजाके-जीस्त - जीवन की रसिकता