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शेर-15 / असर लखनवी

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दिन जिन्दगी के गिनते नही माहो-साल में।
(6)यह भीगी रात और यह बरसात की हवाएं,जितना भूला रहा हूँ, वह याद आ रही है।
</poem>
1.महवीयत - तल्लीनता, किसी के ख्याल में खो जाना
2.बेतहाशा - बहुत अधिक 3.साबिका - सम्बन्ध, लगाव 4. हमनशीं - साथ बैठने वाला, मित्र सभासद, मुहासिब।5. ताइरे-असीर - (पिंजड़े में) कैद पंछी 6.मजाके-जीस्त - जीवन की रसिकता
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