गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अमन वतन के बनल रहे बस / मनोज भावुक
11 bytes added
,
08:58, 8 अप्रैल 2012
{{
KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
{{KKVID|v=zazillrxdnk}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
अमन वतन के बनल रहे बस
हवा में थिरकन बनल रहे बस
सफर के मंजिल मिले, मिले ना
नयन में सावन बनल रहे बस
<poem>
Lalit Kumar
Founder, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
21,914
edits