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[[ रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]]
सम्पादक द्वय ने ‘मनोगत’ शीर्षक भूमिका में हाइकु के सनातन सत्य ‘क्षण की अनुभूति’ को हाइकु विधा / छन्द में विशेष महत्त्व दिया गया है।
:[[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु]] के कुछ हाइकु-
खिलखिलाए
पहाड़ी नदी जैसी
मेरी मुनिया’‘-(पृष्ठ-77)
 
तुतली बोली
आरती में किसी ने
मिसरी घोली--(पृष्ठ-77)
 
</poem>