भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<Poem>
हमारे सामने है अनुचित अनुपात का एक उदाहरण
ऊपर देखिये, यह रहा डायनासोर का कंकाल
प्रिय मित्रो!
और दाईं तरफ़ दूसरे अनन्त तक घिसटती गरदन