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सिहरा ताल-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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20:04, 4 जुलाई 2021
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|रचनाकार=
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह= मेरे सात जनम /
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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[[Category:हाइकु]]
पोंछो ये पलकें
मोतियों भरे हैं ये
सागर
सिन्धु
छलके ।
98
लुटाओ नहीं
जैसे नील गगन
नहीं है छोर ।
-0-
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poem>
वीरबाला
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