|
}}
{{KKCatRajasthan}}
<poem>
(छंद सवैया)
सुख सम्पति दायक, राम के पायक, सत्य सहायक, संकट हरी हारी |
ध्यान दे ज्ञान दे शक्ति दे भक्ति दे, मुक्ति सामिप्य दे शरण तिहारी ||
रघुनन्दन के प्रिय प्रेमी तुम्ही, हनु दर्शन दे हमको शुभकारी |
शिवदीन की आस भरि भरी है, कबहूँ नहीं व्याप सके भव घ्यारी |
मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज़ हमारी ||८||
दोहा
सकल कमाना पूर्ण हो अष्टक पढ़े जो कोय |
निश्चय पावे भक्ति फल ज्ञान दीप उर जोय ||
लंगड़े तेरे नाम से काज चढ़े सब पेश |
भक्त राज हनुमान को करि है याद हमेश ||
राम कृष्ण हनुमान को अर्पण ये पद आठ |
सज्जन जन सब ही करे प्रेम प्यार से पाठ ||
प्रेम भाव उर भावना शुद्ध हृदय शिवदीन |
पाठ करे शुभ फल मिले ताप मिटावे तीन ||
<poem>