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सूर स्याम कौं कहा लगावति, बालक कोमल-बात ॥<br><br>
सूरदासजी सूरदास जी कहते हैं, श्रीनन्दजी श्री नन्द जी यशोदा से यह बात कह रहे हैं - `क्या जानें मेरे कन्हाईतुमने कन्हाई में तुमने क्या देख लिया, जिसके कारण उसपर तुम (इतना) खीजती हो? मेरा नन्हा लाल तो अभी पाँच ही वर्षका वर्ष का है । तुम्हारी बात तो बड़ी आश्चर्यजनक है । बिना काम तुम उसके पीछे चिल्लाती-पुकारती छड़ी लेकर दौड़ती हो । मेरे बलराम और कन्हाई खेलते, -खाते , स्नान करते कुशलपूर्वक रहें ( मैं तो यही चाहता हूँ।) श्यामसुन्दर तो अभी बालक है ।तोतली । तोतली, कोमल वाणी बोलता है, तुम उसे यह सब उस पर पता नहीं यह सब क्या दोष लगा रही हो ।'
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