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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ }}[[Category:हाइकु]]<poem>31काँपती देह अभिशाप बुढ़ापाटूटता नेह ।32जनता भेड़ेंजनसेवक -भेड़िएखड़े बाट में ।33काला कम्बलओढ़ नाचती देखोपागल कुर्सी ।34आपकी बातें खुशबू के झरने चाँदनी रातें 35 पहला स्पर्श रोम -रोम बना है जल-तरंग 36आज ये पल जाह्नवी कल-कल पावन जल 37प्यार से भरे नयन डरे-डरे सन्ताप हरें 38भोर-चिरैया तरु पर चहके घर महके 39बेटी का प्यार-कभी न सूखे ऐसी -है रसधार ।40मोती –से आँसूबहकर निकलेदमका रूप ।</poem>