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Kavita Kosh से
गल चुके हैं पाये बुजुर्गों से विरासत में मिली सीढ़ी के
अब हमें ही संभालने हैं आखिर विश्वासस विश्वास अपनी पीढ़ी के
वक्त से लड़ना है दोस्त्
कुछ इस पार, कुछ उस पार और कुछ बीच में खड़ी हैं दीवार