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आहत युगबोध के जीवंत ये नियम
 
यूं ही बदनाम हुए हम !
मन की अनुगूंज ने वैधव्य वेष धार लिया
 
कांपती अंगुलियों ने स्वर का सिंगार किया
 
अवचेतन मन उदास
 
पाई है अबुझ प्यास
 
त्रासदी के नाम हुए हम
 
यूं ही बदनाम हुए हम !!