भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
चुन-चुन खूब बनाती।
गिलहरी दिनभर आती-जाती।।
दो बच्चे हैं छोटे-छोटे
अपना दूध पिलाती।
गिलहरी दिनभर आती-जाती।।
खिड़की पर जब कौआ आता
बच्चे खाने को ललचाता
पूँछ उठाकर चिक्-चिक्-चिक्-चिक्
करके उसे डराती।
गिलहरी दिनभर आती-जाती।।