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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अजेय}}<poem>इस नदी को देखने लिए
आप इस के एक दम क़रीब जाएं
कुछ नदियाँ शायद
उन्हें क़रीब से देखने की ज़रूरत थी.
कुछ बच्चे माला माल हो गए अचानक
यहाँ एक दम क़रीब आ कर .
2001
</poem>