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प्रेमपत्र को विदाई / अलेक्सान्दर पूश्किन
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10:08, 6 जून 2012
कितना मैंने रोका ख़ुद को कितनी देर न चाहा
पर उसके अनुरोध ने, कोई शेष न
ओड़ी
छोड़ी
राह
हाथों ने मेरे झोंक दिया मेरी ख़ुशी को आग में
प्रेमपत्र वह लील लिया सुर्ख़ लपटों के राग ने
अनिल जनविजय
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