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परदे में क़ैद औरत की गुहार / भारतेंदु हरिश्चंद्र
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02:32, 7 जून 2012
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(भारतेन्दु जी द्वारा लिखित यह गीत उनकी प्रगतिशील दृष्टि का अनुपम उदाहरण है। लोकशैली में गाया जाकर यह आज भी अपनी लोकप्रियता सिद्ध कर सकता है।)
Dr. ashok shukla
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