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रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 1

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|सारणी=रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
}}
<Poem>
नरता कहते हैं जिसे, सत्तव
क्या वह केवल लड़ने में है ?
जब ज़हर सभी के मुख में हो
तक वह मीठी बोली बोले।
</Poem>
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