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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"}}
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|पीछे=रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 7
|आगे=रश्मिरथी / षष्ठ सर्ग / भाग 9
|सारणी=रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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<Poem>
‘अर्जुन ! विलम्ब पातक होगा,
शैथिल्य प्राण-घातक होगा,
सौगन्ध धर्म की मुझे, आग में
स्वयं कूद जल जाऊँ मैं।’
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