भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय
}}
{{KKCatKavita}}
मानव की आशाएँ ही पल-पल
::उस को छलती जाती हैं।
'''ओसाका-हिरोशिमा (रेल में), 17 दिसम्बर, 1957'''
</poem>