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इलाहाबाद में निराला / बोधिसत्व

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जहाँ रोता है निराला-सा वह दढ़ियल<br><br>
'''11.<br><br>
कुछ दिनों बाद वह बूढ़ा मुझे दिखा<br>
दारागंज में ठाकुर कमला सिंह के यहाँ<br>
ठठवारी करते<br>
भैंस का गोबर उठाते<br>
सानी-पानी करते<br>
रखवारी करते<br>
रोटी पर रख कर दाल-भात खाते<br>
झाड़ू लगाते<br>
अगले दिन वह दिखा<br>
हनुमान मन्दिर के बाहर<br>
हात पसारे दाँत चियारे<br>
अगले दिन वह मिला<br>
नेहरू का आनन्द भवन अगोरते हुए<br>
नोचते हुए घास<br>
अगले दिन दिखा<br>
पंत उद्यान में पंत से रोते दुखड़ा<br>
अगले दिन वह दिखा हिन्दी विभाग के आगे<br>
अपनी सही व्याख्या के लिए अनशन पर बैठे<br>
नारा लगाते<br>
ऎंठे अध्यापकों से लात खा कर भी डटा था वह<br>
पर अध्यापक उसे समझने के लिए<br>
नहीं थे तैयार...<br><br>
'''12<br><br>
हिन्दी विभाग से वह कहाँ गुम हुआ<br>
कह नहीं सकता<br>
पर बिना बताए रह भी नहीं सकता<br>
आख़िरी बार उसे देखा गया<br>
रसूलाबाद घाट पर चंद्रशेखर आज़ाद की<br>
चिता भूमि पर गुम-सुम बैठे<br>
उसके पास एक पोथी थी<br>
एक चटाई थी<br>
साहित्यकारों की संसद में नई<br>
पोस्ट आई थी<br>
नज़दीक में ही कई चिताएँ जल रही थीं<br>
पानी पर कई नावें चल रही थीं<br>
चल रहा था क्या उसके मन में<br>
कहना कठिन है<br>
यह समय किसी भी निराला के लिए<br>
दुर्दिन है ।<br><br>
'''13<br><br>
रसूलाबाद घाट के बाद<br>
निराला जैसा दिख रहे<br>
उस आदमी की कोई थाह नहीं मिली<br>
वह गुम गया कहीं अपनों का त्यागा अभागा<br>
रह गए कुछ सवाल जिनके जवाब कौन दे<br>
कौन बताएगा कि<br>
वो बूढ़ा बोलता क्यों नहीं था अपने दुखों पर<br>
क्यों था चुप<br>
क्यों रहता था छिपकर<br>
उसके अपराध क्या थे<br>
क्यों जीता जाता था<br>
उसके साध क्या थे<br>
हालाँकि ये सारे सवाल पूछते हुए डरता हूँ<br>
जब उससे नहीं पूछ पाया<br>
तो अब यह सवाल क्यों उठाता हूँ<br>
जैसे सब भूल गए हैं उसे<br>
मैं भी क्यों नहीं भूल जाता हूँ<br>
क्या ज़रूरत है अब<br>
किसी बेघर बूढ़े की बात उठाने की<br>
क्या ज़रूरत है उस बूढ़े को ढूंढ़ने की<br>
इस देश में एक वही तो नहीं था दुत्कारा ।<br><br>
'''14<br><br>
रसूलाबाद घाट की सीढ़ियों पर<br>
लिखा मिला उसी जगह<br>
खड़िया से एक वाक्य<br>
जिस पर थोड़ी दुविधा है<br>
कुछ का कहना है कि यह<br>
उसी पागल बूढ़े के हाथ का<br>
लेखा है<br>
कुछ का कहना है कि<br>
यह घाट पर रहने वालों में से किसी का लिखा है<br>
बकवास है<br>
लिखा था वहाँ--<br>
'जितना नहीं मरा था मैं<br>
भूख और प्यास से<br>
उससे कहीं ज़्यादा मरा था मैं<br>
अपनों के उपहास से'<br><br><br>
बहिला=वे गायें जो गर्भ धारण नहीं कर सकतीं
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