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|रचनाकार=जयशंकर प्रसाद |संग्रह=लहर / जयशंकर प्रसाद}}{{KKPrasiddhRachna}}{{KKCatKavita‎KKCatKavita}}<Poempoem>
मधुर माधवी संध्या मे जब रागारुण रवि होता अस्त,
विरल मृदल दलवाली डालों में उलझा समीर जब व्यस्त,
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