भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=जयशंकर प्रसाद |संग्रह=लहर / जयशंकर प्रसाद}}{{KKPrasiddhRachna}}{{KKCatKavitaKKCatKavita}}<Poempoem>
मधुर माधवी संध्या मे जब रागारुण रवि होता अस्त,
विरल मृदल दलवाली डालों में उलझा समीर जब व्यस्त,