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Kavita Kosh से
रूप विराट
मदांध,नहिं तूने देखा है;
(नशा पुराना जलद जल्द नहिं उतरा करता है.
और न अपने भौतिक दृग से देख सकेगा.
आकर कवि से दिव्यदृष्टि ले.