भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
<poem>
असहयोग कर दो । असहयोग कर दो ।।कठिन है परीक्षा न रहने क़सर दो,न अन्याय के आगे तुम झुकने सर दो ।गँवाओ न गौरव नए भाव भर दो,हुई जाति बेपर है तुम इसको पर दो ।। असहयोग कर दो । असहयोग कर दो ।।हृदय चोट खाए दबाओगे कब तक,बने नीच यों मार खाओगे कब तक,तुम्हीं नाज़ बेजा उठाओ कब तक,बँधे बन्दगी यों बजाओगे कब तक । असहयोग कर दो, । असहयोग कर दो।।
</poem>