भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नृप इथि काहु करथि नहि साति ,
पुरख महत सब हमर सजाति ,
 
विद्यापति कवि एह रस गाब ,
उकुतिहि भाव जनाब !
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits