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Kavita Kosh से
टेढ़े-मेढ़े अक्षर उलझी आकृतियाँ
जिनसे हैं गूँज रहीं अनगिन प्रतिधवनियाँप्रतिध्वनियाँ
दूर एक कोने में लिखा है प्रणाम.