भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अंगदादि नल-नील सब कर करने लगे महायुद्ध ||
महा बलि योद्धाओं ने अति घोर विकट संग्राम किया,|राक्षस केते मार-मार वीरों ने अपना नाम किया ||इन्द्रजीत अरु कुम्भकरण रण सन्मुख जाय लडाई की,|पुनि इनके मारे जाने पर रावन ने स्वयं चढ़ाई की ||श्री रामचंद्र ने रावन के हृदय में अग्नि बाण दिया,|अंत समय श्रीराम नाम ले रावन ने अपना प्राण दिया | | उसे मुक्ति पद दे प्रभु ने दिना राज विभीषण को |सिंहासन पर बैठाय उसे पाला प्रभु ने अपने प्रण को ||सुखपाल में सीताजी को ले जब भक्त विभीषण आता था |भालू वानर सबका ही मन तब दर्शन को ललचाता था ||रघुनायक अन्तर्यामी ने उन सबके मन को जान लिया |सबके दर्शन हित पदगामी सीताजी का आव्हान किया ||श्रीराम चरण गहे सिया ने प्रभु मिले सिया से हर्षाकर |बानर भालू सब सुखी हुये सीताजी के दर्शन पाकर ||
<poem>
514
edits