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श्रीराम चरण गहे सिया ने प्रभु मिले सिया से हर्षाकर |
बानर भालू सब सुखी हुये सीताजी के दर्शन पाकर ||
चरणों में गिरकर सीता के लक्ष्मणजी ने प्रणाम किया |
आनंद से अति हरष-हरष सीता ने आशीर्वाद दिया ||
पुष्य विमान में बैठ कर हर्ष चले रघुनाथ |
हनुमदादि सेनापति सीता को ले साथ ||
तीन दिवस में प्रयाग राज आकर प्रभु बोले योद्धा को |
संदेश भारत को शीघ्र ही दो जावो हनुमान अयोध्या को ||
भगवान राम की आज्ञा ले जाकर संदेश सुनाया है |
सुना भारत ने प्रभु आये उर में आनंद समाया है ||
गुरु वशिष्ठ अरु पुरवासी आनंद से लेने आये है |
हर्षित चित मन मुदित भरत चरणों में शीश झुकाये है ||
श्रीराम परे गुरु चरणों में विनय सहित प्रणाम किया |
पुनि भ्रात भरत को गले लगा शत्रुघ्न को विश्राम दिया ||
अनेक वाहनों पर बैठे श्रीराम अयोध्या आय रहे |
भगवान राम की जय बोलो सुर सकल पुष्प बरसाय रहे ||
सीता सहित राज मंदिर में लक्षमण राम पधारे है |
जननी के चरण परे भगवन् रघुकुल के राम उजियारे है ||
गुरु वशिष्ठ की आज्ञा ले श्रीराम विराजे आसन पर |
शुभ मुहूर्त में प्रभु रामचंद्र बैठे राज सिंहासन पर ||
यह मूल पाठ करने से जन सद् आनंद को भी पा जाता |
धन धान्य मिले सुख भोग सभी अरु अंत अमर पुर को जाता ||
रामावतार की मूल कथा कह सुन कर आनंद पते है |
शिवदीन सदा सत्संगी जन गुण राम प्रभु के गाते है ||
सहस्त्र पाठ जो नर करे तां पर राजी राम |
आनंद मंगल सुख लहे पूर्ण होय सब काम ||
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