गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मेरे दामन में काँटे हैं, मेरी आँखों में पानी हैं.. / श्रद्धा जैन
209 bytes added
,
11:00, 3 दिसम्बर 2012
वफ़ा नाज़ुक सी कश्ती है ये अब डूबी कि तब डूबी
मुहब्बत में यकीं के साथ थोड़ी बदगुमानी है
ये अपने आइने की हमने क्या हालत बना डाली
कई चेहरे हटाने हैं, कईं यादें मिटानी हैं
तुम्हें हम फासलों से देखते थे औ'र मचलते थे
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits