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'लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने' अदबी दहलीज़ : 1/31 जनवरी-मार्च 2013 सरायमीर,आज़मगढ़ उ प्र
'होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती' अर्बाबे-क़लम : 14/44 जनवरी-मार्च 2013 देवास, म.प्र.
'मुश्किल से महीने नें में बचाता है वो जितना//उतने में तो खाँसी की दवा तक नहीं आती' अंदाज़े-बयाँ उप शीर्षक
अर्बाबे-क़लम : 14/16 जनवरी-मार्च 2013 देवास, म.प्र.