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हम तो खाइब अम्हाड़ को अचार ,चुराय के हँडिया से ,हमार कोऊ का करि है !
आपुन सपूत केर भर भर थरिया ,
हमका पियाज
-नोन रोटिन पे धरिया !
जेतन मिलि जाय ओही पे संतोस करो
तऊ पै कंटरौल हजार !हमार कोऊ का करि है !
थारी में लै-लै बचाय रखि जाइब रे !
उनको परोसो हमार काम आइब रे
तीखी तरकारी बताय छोड़ि जाई जबै,
घिउ डारी दार, रोटी चार !हमार कोऊ का करि है !
खींच उहै थरिया पटा पे बैठ जइबे ,पियाज हरी मिरच तो आपुनो ही लइबे ,
तीखी तरकारी तो बड़ा मजा आई,
सबाद लै-लै खाई घुँघटा मार !हमार कोऊ का करि है !
उनका तो देइत गमकौआ सबुनवा ,
सनलैट हमका अउर ऊपर से ठुनकवा
वाही से नहाय लेओ ,बार मींज माटी सों,नखरा न दिखिबे तुम्हार !हमार कोऊ का करि है !
खँजड़ा पे डारि सनलैट ,केर टिकिया ,
धोई नहाई घिसि-घिसि गमकौआ,
वाही से धोइ लेई हम चारि कपरा
खुसबू की अइबे
बहार ! हमार कोऊ का करि है !
खिरकी पे काहे खरी, बंद कर केवरिया,
आँखि फारि-फारि मति देख, री बहुरिया ,बाहिर की हवा तोहे लगे नुसकान करी ,
और कहित
खीसें मति काढ़ ! हमार कोऊ का करि है !
गाल चाहे फूलें और टोंके दिन रात रहें,
रोकें लगावै,
हजार ,चाहे लाख कहे ,हमार खुस रहिबे , तुम्हार का खरच होत
हम तो हँसिबे करी मुँह फार
हमार कोऊ का करि है !
उनका बिछावन झका-झक्क चद्दर
हमका दै दीन्हा पुरान ,दलिद्दर !काहे को सोई ,ऊ बेरंग बिछौना पे ,सासू-जाये का मजेदार !हमारो कोऊ का करिहै !
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