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|संग्रह=परछाईयाँ (संग्रह) / साहिर लुधियानवी
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ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवां जिन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं, मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?
ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के<br>ये लुटते हुए कारवां जिन्दगी के<br>कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?<br><br> सनाख्वानसनाख़्वान-ए-तक्दीसतकदीस-ए-मश्रिक़ मशरिक कहाँ हैं?<br><br> ये पुरपेंच गलियां, ये बेख़ाब बाज़ार<br>ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार<br>ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार<br><br>
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>ये पुरपेंच गलियाँ, ये बेख़ाब बाज़ारये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकारये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
तअफ्फ़ुन से पुर नीमरोशन ये गलियां<br>ये मसली हुई अधखिली ज़र्द किलयां<br>ये बिकती हुई खोकली रंग रिलयां<br><br>सनाख़्वान-ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>तअफ्फ़ुन से पुर नीमरोशन ये गलियाँये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियाँये बिकती हुई खोखली रंगरलियाँ
वो उजाले दरीचों में पायल की छनसनाख़्वान-छन<br>तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन-धन<br>ये बेरूह कमरों में खांसी की धनतकदीस-धन<br><br>ए-मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वानवो उजले दरीचों में पायल की छन-छनतनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन-तक्दीसधनये बेरूह कमरों में खांसी की ठन-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>ठन
ये गूंजे हुए क़हसनाख़्वान-क़हे रास्तों पर<br>ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़िकयों पर<br>ये आवाज़ें खींचते हुए आंचलों पर<br><br>ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वानये गूंजे हुए क़हक़हे रास्तों परये चारों तरफ़ भीड़-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>सी खिड़िकयों परये आवाज़ें खींचते हुए आंचलों पर
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे<br>ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे<br>ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे<br><br>सनाख़्वान-ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटेये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रेये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे
ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब<br>ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब<br>लपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब<br><br>सनाख़्वान-ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>ये भूखी निगाहें हसीनों की जानिबये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिबलपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब
यहां पीर भी आ चुके सनाख़्वान-ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं जवां भी<br>तनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भी<br>ये बीवी भी है और बहन भी है, मां भी<br><br>?
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ यहां पीर भी आ चुके हैं?<br><br>जवाँ भीतनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भीये बीवी भी है और बहन भी है, माँ भी
मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी<br>यशोदा की हमजिन्स राधा की बेटी<br>पयम्बर की उम्मत ज़ुलैख़ा की बेटी<br><br>सनाख़्वान-ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वान-ए-तक्दीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?<br><br>मदद चाहती है ये हव्वा की बेटीयशोदा की हमजिन्स राधा की बेटीपयम्बर की उम्मत ज़ुलैख़ा की बेटी
ज़रा मुल्क के राहबरों को बुलाओ<br>ये कूचे ये गलियां ये मन्ज़र दिखाओ<br>सनाख्वानसनाख़्वान-ए-तक्दीसतकदीस-ए-मश्रिक़ को लाओ<br><br>मशरिक कहाँ हैं?
सनाख्वानज़रा मुल्क के राहबरों को बुलाओये कूचे ये गलियां ये मन्ज़र दिखाओसनाख़्वान-ए-तक्दीसतकदीस-ए-मश्रिक़ कहाँ हैं?मशरिक को लाओ
सनाख़्वान-ए-तकदीस-ए-मशरिक कहाँ हैं?
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