|रचनाकार=मलिक मोहम्मद जायसी
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[[Category:लम्बी कविता]]
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तू तस सोइ न मोहिं बिसारसि । तू सेवा जीतै, नहिं हारसि ॥<br>
अस निरमल जस दरपन आगे । निसि दिन तोर दिस्टि मोहिं लागे ॥<br><br>
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