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[[Category:गज़ल]]
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ग़म न हो पास इसी से उदास मेरा मन ।
 
साँस चलती है, चिहुँक चेतता नहीं है तन ।।
नींद ऐसी न किसी और को आई होगी,
 
जाग कर ढूँढती धरती कहाँ है मेरा गगन ।
 
मौसमी गुल हो निछावर, बहार तुम पर ही,
 
क़ाबिले दीद ख़िजाँ में खिला है मेरा चमन ।
 
भूलकर कूल ग़र्क़ कश्तियाँ हुईं कितनी,
 
लौट मझधार से आया चिरायु ख़ुद मरण ।
 
बुलबुलों ने दिया दुहरा कलाम ग़ंचों का,
 
गंध बर मौन रहा आह! एक मेरा सुमन ।
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