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और का और मेरा दिन / केदारनाथ अग्रवाल
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03:58, 7 अप्रैल 2013
}}<poem>
दिन है
किसी और का
सोना का हिरन,
मेरा है
भैंस की खाल का
मरा दिन ।
यही कहता है
वृद्ध रामदहिन
यही कहती है
उसकी धरैतिन,
जब से
चल बसा
उनका लाड़ला ।
Sharda suman
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