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}}<poem>
दिन है
 
किसी और का
 
सोना का हिरन,
 
मेरा है
 
भैंस की खाल का
 
मरा दिन ।
 
यही कहता है
 
वृद्ध रामदहिन
 
यही कहती है
 
उसकी धरैतिन,
 
जब से
 
चल बसा
 
उनका लाड़ला ।
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