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Kavita Kosh से
तिलक बारूद को चन्दन का लगाओ जरा
वर्ना इंसानियत की अआरती आरती का क्या होगा ?
खनक तलवार की पायल से भी मिलाओ जरा
वर्ना इस देश की जवानी का क्या होगा ?