|संग्रह = छैंया-छैंया / गुलज़ार
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न जाने क्या था, जो कहना था
आज मिल के तुझे
तुझे मिला था मगर, जाने क्या कहा मैंने
न वो एक बात जो सोची थी तुझसे कह दूँगातुझे मिला तो लगा, वो भी कह चुका हूँ कभीजाने क्या था, ना जाने क्या थाजो कहना था<BR>आज मिल के तुझे<BR>तुझे मिला था मगर, जाने क्या कहा मैंने<BR><BR>
वो एक बात जो सोची थी तुझसे कह दूँगा<BR>तुझे मिला तो लगा, वो भी कह चुका हूँ कभी<BR>जाने क्या, ना जाने क्या था<BR>जो कहना था आज मिल के तुझे <BR><BR> कुछ ऐसी बातें जो तुझसे कही नहीं हैं मगर<BR>कुछ ऐसा लगता है तुझसे कभी कही होंगी<BR>तेरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं हूँ तेरी क़सम<BR>तेरे ख़यालों में कुछ भूल-भूल जाता हूँ<BR>जाने क्या, ना जाने क्या था जो कहना था<BR>आज मिल के तुझे जाने क्या...<BR>