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|संग्रह=धार के इधर उधर / हरिवंशराय बच्चन
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मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो
सीधी रखते अपनी रीढ़।
जिनको यह ये अवकाश नहीं है,
देखें कब तारे अनुकूल;
जिनको यह परवाह नहीं है,
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